कभी कभी सोंचता हूँ
सिर्फ मैं और तुम
पास-दूर कोई नहीं
तन्हाइयों के बीच
खेतों में कहीं
बैठे रहें,खो जायें
घंटो बीत जायें
ढेर सारी बातों में.
पर
पास जब तुम होते हो
पता नहीं क्यों?
याद ही नहीं आता कि
बात क्या करें?
तुम्हारे जाने के बाद
होता है अहसास
कि मुझे कुछ पूछना भी था!
सिर्फ मैं और तुम
पास-दूर कोई नहीं
तन्हाइयों के बीच
खेतों में कहीं
बैठे रहें,खो जायें
घंटो बीत जायें
ढेर सारी बातों में.
पर
पास जब तुम होते हो
पता नहीं क्यों?
याद ही नहीं आता कि
बात क्या करें?
तुम्हारे जाने के बाद
होता है अहसास
कि मुझे कुछ पूछना भी था!
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