इशारे दूर से कर के , मुझे मगरूर कर देना
मेरी नादानियों के किस्सों को मशहूर कर देना
मिलन के स्वप्न से मुझको जगाकर दूर कर देना
मृदुल इस माधवी मन को महा मजबूर कर देना
जमाना तुमको कोई फिर सजा देगा
समंदर आँखों में मेरे जगा देगा
जमाना है मुहब्बत का, ज़माने में मुहब्बत हो!
मुझे तेरी जरुरत है, तुम्हे मेरी जरुरत हो!
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विकल व्याकुल सजल नैनों को तेरी आस है समझो
हिचकियाँ तेरी दुरी का कटु अहसास है समझो
कहीं फिर से मिलोगे तुम मुझे अहसास है समझो
नयन से दूर हो लेकिन,ह्रदय के पास हो समझो
तुम्हारी आँखों में कोई नमी आये
हमारे सांसों में फ़ौरन कमी आये
जमाना है हिफाजत का, खुदा तेरी हिफाजत हो
मुझे तेरी जरुरत है, तुम्हे मेरी जरुरत हो!
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अग्रसारित हो हमारी पंक्तियाँ तुमसे
जमाने में प्रसारित हो , हमारी पंक्तियाँ तुमसे
तमन्ना हर कवि की बस वहीँ जा कर सिमटती हैकोई बाला प्रभावित हो हमारी पंक्तियाँ सुनके
ख्यालों के विचरते वन में कोई है !
नयन ये बोलते हैं - मन में कोई है !
जमाना है नयन सुख का,नैनो में शरारत हो!
मुझे तेरी जरुरत है, तुम्हे मेरी जरुरत हो!
2 comments:
तुम्हारी आंखों में कोई नमी आए, हमारी सांसों में फौरन कमी आए।
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया बॉस।
बहुत ही बढ़िया काव्य रचना
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